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Showing posts with the label Kritika-II

Class 10 || Hindi || Kritika || Ch-3 Sana Sana Haath Jodi || Summary

  यह पाठ मधु कांकरिया द्वारा लिखा एक यात्रा वृत्तांत है जिसमें लेखिका ने सिक्किम की राजधानी गैंगटॉक और उसके आगे हिमालय की यात्रा का वर्णन किया है जो शहरों की भागमभाग भरी ज़िं दगी से दूर है| लेखिका गैंगटॉक को मेहनती बादशाहों का शहर बताती हैं क्योंकि वहाँ के सभी लोग बड़े ही मेहनती हैं। वहाँ तारों से भरे आसमान में लेखिका को सम्मोहन महसूस होता है जिसमें वह खो जाती हैं। वह नेपाली युवती द्वारा बताई गई प्रार्थना ‘मेरा सारा जीवन अच्छाइयों को समर्पित हो’ को गाती हैं| अगले दिन मौसम साफ न होने के कारण लेखिका कंचनजंघा की चोटी तो नहीं देख सकी, परंतु ढेरों खिले फूल देखकर खुश हो जाती हैं। वह उसी दिन गैंगटाॅक से 149 किलोमीटर दूर यूमथांग देखने अपनी सहयात्री मणि और गाइड जितेन नार्गे के साथ रवाना होती हैं। गंगटोक से यूमथांग को निकलते ही लेखिका को एक कतार में लगी सफेद-सफेद बौद्ध पताकाएँ दिखाई देती हैं जो ध्वज की तरह फहरा रही थीं। ये शान्ति और अहिंसा की प्रतीक थीं और उन पताकाओं पर मंत्र लिखे हुए थे। लेखिका के गाइड ने उन्हें बताया कि जब किसी बौद्ध मतावलम्बी की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए शह

Class 10 || Hindi || Kritika || Ch-2 George Pancham Ki Naak || Summary

  पाठ   कमलेश्वर  द्वारा लिखा गया है इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ हिंदुस्तान पधारने वाली थी। देश की सारी अखबारें इस शाही दौरे की खबरों से भरी थीं। इस दौरे के लिए छोटी-से-छोटी बात पर भी सबकी निगाहें टिकी हुई थीं। रानी का दर्जी परेशान था कि हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर रानी कब क्या पहनेंगी? उनका सेक्रेटरी और जासूस भी उनसे पहले ही दौरा करने वाले थे। फोटोग्राफरों की फौज तैयार हो रही थी। रानी की जन्मपत्री और प्रिंस फिलिप के कारनामों के अतिरिक्त अखबारों में उनके नौकरों, बावरचियों, खानसामों, अंगरक्षकों और कुत्तों की तसवीरें छापी गई थीं। दिल्ली में शाही सवारी के आगमन से धूम मची हुई थी। वहाँ की सदा धूल-मिट्टी से भरी रहने वाली सड़कें साफ़ हो गईं। इमारतों को सजाया गया, सँवारा गया। एक बहुत बड़ी मुश्किल सामने आ गई थी। नई दिल्ली में जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक नहीं थी। जॉर्ज पंचम की नाक के लिए किसी वक्त आंदोलन हुए थे। राजनीतिक पार्टियों ने प्रस्ताव पास किए थे। अखबारों के पन्ने रंग गए थे। बहस इस बात पर थी कि जॉर्ज पंचम की नाक रहने दी जाए या हटा दी जाए। इसके लिए हथिय

Class 10 || Hindi || Kritika || Ch-1 Mata Ka Anchal || Summary

'माता का आँचल' पाठ शिवपूजन सहाय द्वारा लिखा गया है जिसमें लेखक ने माँ के साथ एक अद्भुत लगाव को दर्शाया है| इस पाठ में ग्राम संस्कृति का चित्रण किया गया है| कथाकार का नाम तारकेश्वर था। पिता अपने साथ ही उसे सुलाते, सुबह उठाते और नहलाते थे। वे पूजा के समय उसे अपने पास बिठाकर शंकर जी जैसा तिलक लगाते जो लेखक को ख़ुशी देती थी| पूजा के बाद पिता जी उसे कंधे पर बिठाकर गंगा में मछलियों को दाना खिलाने के लिए ले जाते थे और रामनाम लिखी पर्चियों में लिपटीं आटे की गोलियाँ गंगा में डालकर लौटते हुए उसे रास्ते में पड़ने वाले पेड़ों की डालों पर झुलाते। घर आकर बाबूजी उन्हें चौके पर बिठाकर अपने हाथों से खाना खिलाया करते थे। मना करने पर उनकी माँ बड़े प्यार से तोता, मैना, कबूतर, हँस, मोर आदि के बनावटी नाम से टुकड़े बनाकर उन्हें खिलाती थीं। खाना खाकर बाहर जाते हुए माँ उसे झपटकर पकड़ लेती थीं और रोते रहने के बाद भी बालों में तेल डाल कंघी कर देतीं। कुरता-टोपी पहनाकर चोटी गूँथकर फूलदार लट्टू लगा देती थीं।लेखक रोते-रोते बाबूजी की गोद में बाहर आते। बाहर आते ही वे बालकों के झुंड के साथ मौज-मस्ती में डूब जाते थे